एसआईटी के गठन पर सीबीआई की छाया

एसआईटी के गठन पर सीबीआई की छाया


ष्टाचार के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख और सीबीआई के खौफ के चलते परिवहन घोटाले की जांच के लिए एसआईटी नहीं तय हो पाई। इसको लेकर देर रात तक अफसर मंथन करते रहे। अधिकारी चाहते हैं कि सीओ कैंट सुमित शुक्ला के नेतृत्व में गठित एसआईटी में ऐसे सदस्य शामिल किए जाएं कि जांच बाद में सीबीआई को भी दे दी जाए तो विवेचना पर कोई सवाल न उठे।


ओवरलोडिंग के जरिये सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाने वाले आरटीओ के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में पांच दिन बाद भी विवेचना शुरू नहीं हो पाई है। मामला बड़ा होने के साथ ही 16 जिलों के आरटीओ कर्मचारियों और अधिकारियों से जुड़ा होने के नाते एसआईटी के जरिये इसकी विवेचना कराने का निर्णय हुआ। मामला बाद में सीबीआई में भी जा सकता है। यही वजह है कि एसआईटी में चयन भी कम चुनौती नहीं है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक कुछ लोग एसआईटी में शामिल होने के लिए तैयार हैं तो वहीं कुछ ने मना कर दिया है।


उधर, शासन में भी इस मामले को लेकर मंगलवार को बैठक हुई और एसआईटी पर चर्चा हुई। एसटीएफ ने आरोपियों की गिरफ्तारी की थी और केस का खुलासा किया था। ऐसे में एसआईटी में एसटीएफ को भी शामिल करने की चर्चा है। उधर, एसआईटी के गठन और पूरे मामले की जानकारी तथा सबूतों के संकलन को लेकर सोमवार को देर रात तक एसएसपी ने अफसरों और बेलीपार पुलिस के साथ बैठक की थी। उन्होंने एसटीएफ को भी बुलाया और उनसे भी राय ली। मंगलवार को भी देर रात तक इसको लेकर बैठक चलती रही।


सीओ कैंट के नेतृत्व में एसआईटी करेगी विवेचना


भ्रष्टाचार के मामले की विवेचना अब सीओ कैंट सुमित शुक्ला करेंगे। एसएसपी डॉ सुनील गुप्ता ने बताया कि सीओ कैंट को एसआईटी का इंचार्ज बनाया गया है। विवेचना उनकी देखरेख में होगी। सदस्यों का चयन बुधवार को होगा।


एक-एक नाम पर 20 लाख रुपये की उड़ने लगी डिमांड


अभी विवेचना शुरू भी नहीं हुई कि एक-एक अफसरों को बचाने के लिए 20-20 लाख की डिमांड भी हवा में उड़ने लगी है। अफसरों से जुड़े लोगों ने अपने जुगाड़ तलाशने शुरू कर दिये हैं। आरटीओ के अफसरों को यह भरोसा दिया जा रहा है कि पुलिस विवेचना में उनकी भूमिका साबित ही नहीं कर पाएगी। उन्होंने पकड़े गए लोगों के बयान के आधार पर ही आरटीओ के अफसरों को दोषी माना है। बिना भूमिका साबित हुए उन लोगों पर चार्जशीट नहीं लग पाएगी। उधर, अफसरों के अलावा जो कर्मचारी और आरटीओ के सिपाही फंसे हैं उनकी कोशिश है कि अगर वे न बच पाएं तो अफसर भी न बचें क्योंकि बिना उनके यह संभव नहीं है। वहीं इस काली कमाई को करीब से देखने वाले कुछ ट्रांसपोटरों का कहना है कि केस में फंसे अफसरों के लिए 20 लाख रुपये देने कोई बड़ी बात नहीं है। विवेचना करने वाली टीम ईमानदार नहीं रही तो कोई जेल नहीं जाएगा। काली कमाई की जुटाई गई नोटो से वे टीम को ही तौल देंगे।